Porcupyn's Blog

June 30, 2014

Songs of the 1970s – my favourites – 19

Filed under: Music — Porcupyn @ 11:59 pm

aaj se pahale aaj se zyaadaa – lyics from giitaayan

आज से पहले आज से ज़्यादा
ख़ुशी आज तक नहीं मिली
इतनी सुहानी ऐसी मिठी – 2
घड़ी आज तक नहीं मिली
आज से पहले आज से ज़्यादा…

इस को संजोग कहें या क़िस्मत का लेखा
हुम जो अचानक मिले हैं
मन चाहे साथी पाकर हम सब के चेहरे
देखो तो कैसे खिले हैँ
ऊऽऽ
तक़्दीरों को जोड़ दे ऐसे
किन्हीं तक़्दीरों को जोड़ दे ऐसे
लड़ी आज तक नहीँ मिली
आज से पहले आज से ज़्यादा…

सपना हो जाये पूरा, जो हमने देखा
ये मेरे दिल की दुआ है
ये पल जो बीत रहें हैं इन के नशे में
दिल मेरा गाने लगा है
ऊऽऽ
इसी ख़ुशी को ढूँढ रहे थे
हम इसी ख़ुशी को ढूँढ रहे थे
यही आज तक नहीं मिली
आज से पहले आज से ज़्यादा…

June 29, 2014

Songs of the 1970s – my favourites – 18

Filed under: Music — Porcupyn @ 11:59 pm

aaj mausam baDaa baimaan hai – lyrics from giitaayan

आज मौसम बड़ा बेईमान है
बड़ा बेईमान है, आज मौसम
आने वाला कोई तूफ़ान है
कोई तूफ़ान है, आज मौसम

क्या हुआ है, हुआ कुछ नहीं है
बात क्या है पता कुछ नहीं है
मुझसे कोई ख़ता हो गई तो
इस में मेरी ख़ता कुछ नहीं है
ख़ूबसूरत है तू रुत जवान है
आज मौसम बड़ा बेईमान है

काली-काली घटा दर रही है
ठंडी आहें हवा भर रही है
सबको क्या-क्या गुमान हो रहे हैं
हर कली हम पे शक कर रही है
फूलों का दिल भी कुछ बदगुमान है

ऐ मेरे यार ऐ हुस्न वाले
दिल किया मैंने तेरे हवाले
तेरी मर्ज़ी पे अब बात ठहरी
जीने दे चाहे तू मार डाले
तेरे हाथों में अब मेरी जान है

http://www.youtube.com/watch?v=aSJ_jcEPOu0

June 28, 2014

Songs of the 1970s – my favourites – 17

Filed under: Music — Porcupyn @ 11:59 pm

aaj madhosh huwa jaae – lyrics from giitaayan

ल: आज मधोश हुआ जाए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
बिना ही बात मुस्कुराए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
ओ री कली सजा तू डोली
ओ री लहर पहना तू पायल
ओ री नदी दिखा तू दर्पन
ओ री किरण उड़ा तू आँचल
एक जोगन है बनी आज दुल्हन हो ओ
आओ उड़ जाएं कहीं बनके पवन
आज मधोश हुआ जाए रे

कि: शरारत करने को ललचाए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
ऐ, यहाँ हमें ज़माना देखे
ल: तो
कि: आओ चलो कहीं छुप जाएं
ल: अच्छा
कि: यहाँ हमें ज़माना देखे
आओ चलो कहीं छुप जाएं
कैसे कहो प्यासे रह जाएं
तू मेरी मैं हूँ तेरा तेरी क़सम हो ओ

ल: मैं तेरी तू मेरा मेरी क़सम हो ओ
आज मधोश हुआ जाए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन

ल: रोम रोम बहे सुर धारा
अँग अँग बजे शहनाई
जीवन सारा मिला एक पल में
जाने कैसी घड़ी ये आई
छू लिया आज मैंने सारा गगन हो ओ
नाचे मन आज मोरा झूम छनन छनन ओ ओ
आज मधोश हुआ जाए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन

कि: शरारत करने को ललचाए रे
ल: बिना ही बात मुस्कुराए रे
कि: मेरा मन
ल: मेरा मन

June 27, 2014

Songs of the 1970s – my favourites – 16

Filed under: Music — Porcupyn @ 11:59 pm

aaj kal paanv zameen – lyrics from giitaayan

(आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए) -2
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे

जब भी थामा है तेरा हाथ तो देखा है -2
लोग कहते हैं के बस हाथ की रेखा है
हमने देखा है दो तक़दीरों को जुड़ते हुए
आज कल पाँव…

नींद सी रहती है, हलका सा नशा रहता है
रात-दिन आँखों में इक चहरा बसा रहता है
पर लगी आँखों को देखा है कभी उड़ते हुए
आज कल पाँव…

जाने क्या होता है हर बात पे कुछ होता है
दिन में कुछ होता है और रात में कुछ होता है
थाम लेना जो कभी देखो हमें उड़ते हुए
आज कल पाँव…

आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे

June 26, 2014

Songs of the 1970s – my favourites – 15

Filed under: Music — Porcupyn @ 11:59 pm

aaj ham apnee duwaaon – lyrics from giitaayan

आज हम अपनी दुआओं का असर देखेंगे
तीर-ए-नज़र देखेंगे, ज़ख्म-ए-जिगर देखेंगे (2)

आप तो आँख मिलाते हुए शरमाते हैं,
आप तो दिल के धड़कने से भी डर जाते हैं
फिर भी ये ज़िद्द्‌्‌ है के हम ज़ख्म-ए-जिगर देखेंगे,
तीर-ए-नज़र देखेंगे, ज़ख्म-ए-जिगर देखेंगे (2)

प्यार करना दिल-ए-बेताब बुरा होता है
सुनते आये हैं के ये ख्वाब बुरा होता है
आज इस ख़्वाब की ताबीर मगर देखेंगे
तीर-ए-नज़र देखेंगे, ज़ख्म-ए-जिगर देखेंगे (2)

जानलेवा है मुहब्बत का समा आज की रात
शमा हो जयेगी जल जल के धुंआ आज की रात
आज की रात बचेंगे तो सहर देखेंगे (2)
तीर-ए-नज़र देखेंगे, ज़ख्म-ए-जिगर देखेंगे (2)

June 25, 2014

Songs of the 1970s – my favourites – 14

Filed under: Music — Porcupyn @ 11:59 pm

aadmee musaafir hai – lyrics from giitaayan

आदमी मुसाफ़िर है आता है जाता है
आते-जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है

झोंका हवा का पानी का रेला -2
मेले में रह जाए जो अकेला -2
वो फिर अकेला ही रह जाता है
आदमी मुसाफ़िर है …

क्या साथ लाए क्या छोड़ आए
रस्ते में हम क्या छोड़ आए
मंज़िल पे जा के ही याद आता है
आदमी मुसाफ़िर है …

जब डोलती है जीवन की नैया
कोई तो बन जाता है खिवैया
कोई किनारे पे ही डूब जाता है
आदमी मुसाफ़िर है …

रोती है आँख जलता है ये दिल
जब अपने घर के फेंके दिये से
आँगन पराया जगमगाता है
आदमी मुसाफ़िर है …

June 24, 2014

Songs of the 1970s – my favourites – 13

Filed under: Music — Porcupyn @ 11:59 pm

aadamii jo kahataa hai – lyrics from giitaayan

कभी सोचता हूँ, कि मैं चुप रहूँ
कभी सोचता हूँ, कि मैं कुछ कहूँ

आदमी जो सुनता है, आदमी जो कहता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो देता है, आदमी जो करता है
रास्ते मे वो दुआएं पीछा करती हैं

कोई भी हो हर ख़्वाब तो अच्छा नहीं होता
बहुत ज्यादा प्यार भी अच्छा नहीं होता है
कभी दामन छुड़ाना हो, तो मुश्किल हो
प्यार के रस्ते छुटे तो, प्यार के रिश्ते टूटे तो
ज़िंदगी भर फिर वफ़ाएं पीछा करती हैं …

कभी कभी मन धूप के कारण तरसता है
कभी कभी फिर दिल में, सावन बरसता है
प्यास कभी बुझती नहीं, इक बूँद भी मिलती नहीं
और कभी रिम झिम घटाएं पीछा करती हैं …

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